2025-04-04 17:47:35
यह सर्व विदित हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में पिछले कुछ तिमाहियों में कमी आई हैं और उपभोक्ता वर्ग पूर्व की तुलना में कम व्यय कर रहा हैं l वर्ष 2025-26 हेतु विभिन्न संगठनों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार होने की उम्मीद प्रकट की हैं l सामान्य तौर पर यह माना जा रहा है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में GDP विकास दर 6.5% रहेगी और चालु खाता घाटा GDP के 1 .3% पर रहेगा l इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थायित्व आने की संभावना व्यक्त की जा रही हैं l स्मरण रहे कि चालू खाता घाटा संपूर्ण आयात पर गए कुल खर्च और निर्यात से हुई आमदनी का अंतर होता हैं और इसमें अनिवासी भारतीयों के द्वारा भेजे जाने वाली विदेशी मुद्रा को भी शामिल किया जाता है l वर्ष 2025-26 में विदेशी मुद्रा भंडार के पर्याप्त रहने की संभावना हैं l सेवा क्षेत्र के निर्यात से प्राप्त होने वाली आय और अनिवासी भारतीयों से प्राप्त होने वाली विदेशी मुद्रा जो कि, केलेण्डर वर्ष 2024 में लगभग 120 अरब डॉलर थी, मुख्य रूप से जिम्मेदार है एवं चालू खाते घाटे पर नियंत्रण कर पाने में सहायक सिद्ध हो रहे है। पिछले कुछ वर्षों में भारत से होने वाला मर्केंन्डाइज एक्स्पोर्ट (वस्तु निर्यात) लगभग स्थिर रहा हैं l वैश्विक वस्तु निर्यात में भारतीय निर्यात का हिस्सा लगभग 1.8% हैं जबकि भारत से सेवा निर्यात लगातार बढ़ते हुए अब वैश्विक सेवा निर्यात का लगभग 4% हो गया हैं l अगले वितीय वर्ष में वार्षिक मुद्रा स्फीति की दर लगभग 4.4% रहने की संभावना हैं l इससे उप-भोवताओं की डिस्पोजेबल इनकम में वृद्धि होगी और उपभोग व्यय बढ़ेगा जो भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा। इसके अलावा 2025-26 के वार्षिक बजट में आयकर में दी गई छूट से भी उपभोग व्यय बढ़ने की संभावना है। गौरतलब है कि उपभोग व्यय भारतीय GDP का लगभग 60% हैं l 2025-26 के वार्षिक बजट मे केंद्र सरकार ने पूंजीगत व्यय हेतु 11.70 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। अगर सरकार इस राशि का उपयोग करने में सफल रहती है तो उससे अधोसंरचना और विनिर्माण क्षेत्र को बहुत बढ़ावा मिलेगा । पिछले कुछ वर्षों में निजी क्षेत्र के द्वारा किए जाने वाले पूँजीगत व्यय लगभग नगण्य रहा हैं l इसके अगले वितीय वर्ष में कुछ गति पकड़ने की संभावना हैं l विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर 9 % रहने की आशा हैं। उपरोक्त सभी संभावनाएँ इस अवधारणा पर आधारित हैं कि कच्चे तेल का मूल्य प्राय: स्थिर बना रहेगा और वैश्विक भू-राजनीति में बहुत अधिक उथल पुथल नहीं होगी l वर्तमान में चल रहा ट्रेड वार वैश्विक बाजार को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा । इन अवधारणाओं में परिवर्तन होने से 2025-26 हेतु वास्तविक आंकडें इन संभावित आँकड़ों से अलग हो सकते हैं क्योंकि भारत अपनी आवश्यकता का लगभग 80% कच्चा तेल विदेशो से आयात करता हैं l विदेश व्यापार और वैश्विक भू-राजनीति में आमूलचूल परिवर्तन भारतीय अर्थव्यवस्था को निश्चित रूप से प्रभावित करेंगे। इस वक्त पर यहीं कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद बहुत मजबुत है और भारत आगामी वर्षों में 6-7% की आर्थिक विकास दर हासिल कर सकता है।