जीते जी भुगतान

कुतरे ज्यूं कीड़ा वसन, उसे समझ कर गैर।
News

2025-04-04 23:07:56

कुतरे ज्यूं कीड़ा वसन, उसे समझ कर गैर। खाता यूं ही जीव को, द्वेष ईर्ष्या बैर।। लेखा-जोखा कर्म का, जीते जी भुगतान। कर्म करो ऐसे सदा, फल हों शहद समान।। पल में सब बिगड़ी बने, हो मुश्किल आसान। बैरी को अपना करे, अधरों की मुस्कान

Readers Comments

Post Your Comment here.
Characters allowed :
Follow Us


Monday - Saturday: 10:00 - 17:00    |    
info@pratiknews.com
Copyright© Pratik News
Powered by DiGital Companion