जिला प्रशासन का अनूठा प्रयास मशरूम उत्पादन के गुर सीख रहे हैं जेल के बंदी

जिला प्रशासन की यह पहल बंदियों के पुनर्वास और उनकी सकारात्मक दिशा में उन्मुखीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है
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2025-04-09 23:30:23

प्रोजेक्ट परिवर्तन के तहत बंदियों के भविष्य को संवारने का प्रयास हेतु जिला प्रशासन ने उन बंदियों के भविष्य को संवारने का बीड़ा उठाया हैजो जाने-अनजाने में अपराध के कारण जेल में निरूद्ध हैं। इसके लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया आरसेटी पाकुड़ की मदद ली गई है। आरसेटी के सहयोग से बंदियों के लिए मशरूम की खेती का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस प्रशिक्षण में 35 बंदियों को चुना गया है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य रूप से उपायुक्त मनीष कुमार, पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार, निदेशक आरसेटी राजेश कुमार मिश्रा, मंडल कारापाल दिलीप कुमार, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एस के झा और वरिष्ठ संकाय सह कार्यक्रम समन्वयक अमित कुमार बर्धन ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। उपायुक्त मनीष कुमार ने कहा कि जेल में बंदियों को दस दिनों का प्रशिक्षण आज से दिया जा रहा है। जेल में बंदियों को अब मशरूम की खेती के गुर सिखाए जा रहे हैं, ताकि वे जेल से रिहाई के बाद अपराध की दुनिया को छोड़कर आत्मनिर्भर बन सकें। इस पहल का उद्देश्य बंदियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है। प्रशासन की ओर से बंदियों को हरसंभव मदद दी जा रही है ताकि वे इस व्यवसाय को सीखकर आत्मनिर्भर बन सकें। पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने कहा कि आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रशिक्षण के बाद, रिहाई के उपरांत बंदी मशरूम की खेती को व्यवसाय के रूप में अपना सकते हैं और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकते हैं। यह प्रयास न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा, बल्कि अपराध से दूर रहकर समाज में सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर भी प्रदान करेगा मंच का संचालन करते हुए अमित कुमार बर्धन ने कहा कि जिला प्रशासन के महत्वपूर्ण सहयोग से जेल बंदियों का यह तीसरा प्रशिक्षण बैच है। इससे पूर्व आरसेटी पाकुड़ द्वारा सर्फ, साबुन, फिनायल, मेकिंग और फास्ट फूड स्टॉल उद्यमी पर प्रशिक्षण दिया गया है।लाभुकों को मशरूम उत्पादन के अलावा व्यक्तित्व विकास, उद्यमी योग्यता, समय प्रबंधन, वित्तीय समावेशन, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, विपणन, बैंकिंग व बीमा आदि से संबंधित जानकारी भी दी जाएगी

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