2024 के चुनाव से बदल सकती है बिहार में गठबंधन की राजनितिक तस्वीरें

भाजपा अब पशुपति कुमार पारस को नहीं पूछ रही है। ऐसे में यदि पशुपति कुमार पारस भविष्य में वे महागठबंधन के साथ जुड़ जाते है तो कोई आश्चर्यजनक बात नहीं होगा। चिराग के सामने पशुपति कुमार पारस को महागठबंधन सीट देने में कोई गुरेज भी नहीं करेगा।
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2022-11-12 07:49:38

हाल ही हुए बिहार में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के साथ ही आगे की राजनितिक परिदृश्य बदलने लगे है। गोपालगंज और मोकामा की इन दो सीटों के परिणामों ने सभी राजनितिक पार्टीयों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। भले ही वहां #RJD व #BJP ने अपनी सीटें बरकरार रखीं है, लेकिन दोनों के वोटों के अंतर ने कई संभावनाओं को जन्म दे दिया है। आगे मुजफ्फरपुर के कुढ़नी में उपचुनाव होने वाले है और उसके बाद लोकसभा चुनाव की ओर सभी पार्टियाँ चलेंगी। लेकिन गठबंधनों का मौजूदा स्वरूप जस का तस रहेगा, कहा नहीं जा सकता। गोपालगंज में BJP और मोकामा में RJD ने अपनी सीटें बरकरार तो रखीं, लेकिन वोटो का अंतर दोनों का ही घट गया है।

बदल सकता है चुनावी समीकरण

गोपालगंज में लगभग 1800 वोटों से RJD की हार हुई, जबकि पिछली बार भाजपा लगभग 30 हजार वोटों से जीती थी। #Gopalganj सीट राजद को मिल सकती थी, लेकिन उसका माई समीकरण (मुस्लिम-यादव) दरक गया। ओवैसी की पार्टी #AIMIM ने 12 हजार वोट काट दिए और लालू यादव के साले साधु यादव की पत्नी ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर यादवों के वोटो को काट दिया था। ओवैसी पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान राजद के लिए बड़ा रोड़ा बन गए थे, इसलिए वह सत्ता हासिल नहीं कर सका था। हालांकि बाद में ओवैसी के पांच में से चार विधायक RJD में शामिल हो गए, परंतु ओवैसी RJD के लिए बहुत बड़े खतरा हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है।

ओवैसी की जित से हो सकता है भाजपा को फायदा

RJD भी इसे अच्छी तरह से जानती है, क्योंकि ओवैसी भले न जीतें, लेकिन ओबैसी की जित का फायदा बीजेपी को मिल सकता है और RJD से अलग होने से हुए नुकसान की भरपाई भाजपा इस कार्ड से करेगी। अभी कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में पांच दिसंबर को उपचुनाव होने हैं। यह सीट RJD की है और इस सीट से जीते विधायक अनिल सहनी की सदस्यता रद कर दी गई है। इसी कारण, जब वे राज्यसभा सदस्य थे तो गलत बिल देकर उन्होंने कई लाभ लिए थे। RJD वJDU दोनों ही अपनी दावेदारी इस सीट पर पेश कर रहे है।

पशुपति कुमार पारस जा सकते है महागठबंधन के साथ

मुकेश सहनी ने मुकाबले से पहले ही त्रिकोणीय समीकरण बनाने की कोशिश में लगे हुए है। इधर चिराग पासवान अब NDA के साथ जुड़ गए हैं। उनके जुड़ने से उनके चाचा पशुपति कुमार पारस चुनावीं रेस में असहज होने लगे हैं। बीजेपी भी अब चिराग पासवान को भाव दे रही है। बीजेपी को पता है की पासवान वोट चिराग की तरफ ही ज्यादा हैं। लोकसभा चुनाव को लेकर भी दोनों में बहुत कुछ तय हो चुका है। संभव है कि चिराग को जमुई (चिराग का संसदीय क्षेत्र) के साथ-साथ हाजीपुर सीट (रामविलास की पुरानी व पारस की वर्तमान) भी मिल जाए। ऐसे में पारस का भाजपा के साथ बने रहना मुश्किल होगा। भाजपा अब पशुपति कुमार पारस को नहीं पूछ रही है। ऐसे में यदि पशुपति कुमार पारस भविष्य में वे महागठबंधन के साथ जुड़ जाते है तो कोई आश्चर्यजनक बात नहीं होगा। चिराग के सामने पशुपति कुमार पारस को महागठबंधन सीट देने में कोई गुरेज भी नहीं करेगा।

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