स्वतंत्रता का स्वप्न

नारी की स्वतंत्रता की धारा,
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2025-04-30 21:21:48

नारी की स्वतंत्रता की धारा, चली हर मन में इक विचार सा। बंधनों से बंधी नहीं वह, स्वतंत्रता का है अब ख्वाब हमारा। कभी कहा गया, तुम छोटी हो, तुमसे न होगा कोई काम बड़ा। पर भीतर की शक्ति ने कहा, रखो ख्वाब, जियो तुम नया। संवेदनाओं से भरी है उसकी बात, गहरी नज़र में छुपा ज्ञान का साथ। हर कदम पर लिखे हैं उसके गीत, जो सच्चाई की ओर उसे ले जाए रीत। हमें न चाहिए कोई दाम, न कोई पुरस्कार, न कोई तमगा। अपने विचारों से सजे-धजे, हमें चाहिए बस अपार सवेरा। सिर्फ़ हर बोझ को उठाना नहीं, स्वतंत्रता की असली पहचान है — अपनी राह खुद चुनना, हर मुश्किल को अपने भीतर से पार करना। हर वादा, हर विश्वास टूटे, पर न हमारी ज़िन्दगी की राह। हम आज़ाद हैं, हम संजीव हैं, स्वतंत्रता से भरा है हर हमारा पक्ष। यही हमारा संदेश है, यही है गीत, नारी अपनी मुक्ति का ढूंढे न कोई मीत। सच्ची स्वतंत्रता है जब मन का है विश्वास, तब दुनिया बदलती है, हर कदम से नया प्रकाश। ---प्रियंका सौरभ

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