नवरात्रि व्रत कथा

सुमति नामक कन्या के पिता प्रतिदिन दुर्गा माता की पूजा करते थे। सुमति पूजा में मौजूद रहती थीं
News

2023-10-20 12:38:40

(डॉ. मोनिका रघुवंशी)

सुमति नामक कन्या के पिता प्रतिदिन दुर्गा माता की पूजा करते थे। सुमति पूजा में मौजूद रहती थीं। एक दिन सुमति अपनी सहेलियों के साथ खेलने लगी और भगवती के पूजन में सम्मिलित नहीं हुई। उसके पिता क्रोधित हो गये और पुत्री से कहने लगे कि हे दुष्ट पुत्री! आज तुमने प्रातः से भगवती का पूजन नहीं किया है, इस कारण मैं तुम्हारा विवाह किसी कोढ़ी तथा दरिद्र मनुष्य के साथ करूँगा। सुमति अपने पति के साथ वन में चली गयी।

पूर्व पुण्य के प्रभाव से भगवती प्रकट हुईं और सुमति से कहने लगीं: मैं आदि शक्ति, ब्रह्मविद्या और सरस्वती हूं। तुम्हारे पूर्व जन्म के पुण्य के प्रभाव से प्रसन्न हूं। तुम पूर्व जन्म में निषाद (भील) की स्त्री थी और अति पतिव्रता थी। एक दिन तेरे पति निषाद ने चोरी की। चोरी करने के कारण तुम दोनों को सिपाहियों ने पकड़ लिया और ले जाकर जेलखाने में कैद कर दिया। उन लोगों ने तुझको और तेरे पति को भोजन भी नहीं दिया। इस प्रकार नवरात्र के दिनों में तुमने न तो कुछ खाया और न जल ही पिया इस प्रकार नौ दिन तक नवरात्र का व्रत हो गया।

सुमति बोली अगर आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो हे दुर्गे। मैं आपको प्रणाम करती हूं कृपा करके मेरे पति का कोढ़ दूर करो। देवी ने कहा- उन दिनों तुमने जो व्रत किया था उस व्रत का एक दिन का पुण्य पति का कोढ़ दूर करने के लिए अर्पण करो, उस पुण्य के प्रभाव से तेरा पति कोढ़ से मुक्त हो जाएगा। उसके पति का शरीर भगवती दुर्गा की कृपा से कुष्ट रोग से रहित हो अति कान्तिवान हो गया। वह ब्राह्मणी पति की मनोहर देह को देख देवी की स्तुति करने लगी- हे दुर्गे! आप दुर्गति को दूर करने वाली, तीनों लोकों का सन्ताप हरने वाली, समस्त दु:खों को दूर करने वाली, रोगी मनुष्य को निरोग करने वाली, प्रसन्न हो मनोवांछित वर देने वाली और दुष्टों का नाश करने वाली जगत की माता हो। देवी बहुत प्रसन्न हुई और कहा- तेरे अति बुद्धिमान, धनवान, कीर्तिवान और जितेन्द्रिय पुत्र शीध्र उत्पन्न होगा। जय माता की।

Readers Comments

Post Your Comment here.
Characters allowed :
Follow Us


Monday - Saturday: 10:00 - 17:00    |    
info@pratiknews.com
Copyright© Pratik News
Powered by DiGital Companion